कोरे पन्ने पे…

वो कोरे पन्ने पर दो शेर लिख कर छोड़ देता है
हर आने-जाने वाला ख़ुद को जिनसे जोड़ लेता है

वो कुछ दो-चार चेहरे दिल के जो नज़दीक होते हैं
उन्हें ये वक्त अक्सर रास्ते में छोड़ देता है

मेरे लहज़े को तुम इतना भी कोई सख़्त मत समझो
बता दूँ बोलना मेरा दिलों को जोड़ देता है

दिल-ए-नादाँ की ख़्वाहिश रब के आगे कब ठहरती है
तमन्ना बढ़ती जाती है वो जितना और देता है

मिलो जिससे भी उसके दिल में अपना घर बना जाओ
जुदा हो जैसे कोई फूल डाली छोड़ देता है…
– रवि प्रकाश ‘रवि’

बह्र: 1222/1222/1222/1222


तमन्ना : desire
लहज़ा : accent

ग़ज़ब की चीज़ है मोहब्बत भी…

कभी गम है, कभी है किस्मत भी
ग़ज़ब की चीज है मोहब्बत भी

ख़ुदा मिल जाए तो है क्या दुनियाँ
और क्या है ख़ुदा की जन्नत भी

कुछ भी करना हो, रूह से करना
इश्क़ भी, रश्क भी, अदावत भी

खुद को इतना तबाह कर डाला
रही ना ख़ुद से कुछ शिकायत भी

ज़िन्दगी अब भी याद आती है
यानी याद आती है हकीक़त भी

हमने इक शख़्स ही नहीं खोया
हमने खोई है इक विरासत भी

– रवि प्रकाश ‘रवि’