कभी गम है, कभी है किस्मत भी
ग़ज़ब की चीज है मोहब्बत भी
ख़ुदा मिल जाए तो है क्या दुनियाँ
और क्या है ख़ुदा की जन्नत भी
कुछ भी करना हो, रूह से करना
इश्क़ भी, रश्क भी, अदावत भी
खुद को इतना तबाह कर डाला
रही ना ख़ुद से कुछ शिकायत भी
ज़िन्दगी अब भी याद आती है
यानी याद आती है हकीक़त भी
हमने इक शख़्स ही नहीं खोया
हमने खोई है इक विरासत भी
– रवि प्रकाश ‘रवि’